कानपुर: तेजाब हमले के दोषी अजय को 30 साल की सजा, अदालत ने पीड़िता को दिया एक लाख रुपये का मुआवजा

Photo Source : Amar Ujala

Posted On:Tuesday, January 28, 2025

कानपुर न्यूज डेस्क: नए साल की खुशियों के बीच बिधनू की एक महिला के लिए यह साल सिर्फ दर्द लेकर आया। पहले तो एक दुर्घटना में उसके पति की मौत हो गई, और फिर 4 मई को एक दरिंदे अजय ने उसके ऊपर तेजाब डालकर उसकी जिंदगी और भी कष्टपूर्ण बना दी। उसकी एकमात्र गलती यह थी कि उसने अजय के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। हालांकि, पीड़िता के जख्म कभी न भरने वाले थे, लेकिन अब उसे न्याय मिला है। कोर्ट ने अजय को 30 साल की कठोर सजा सुनाई है, जो कानपुर शहर की अदालत द्वारा दी गई पहली सजा है।

अपर जिला जज तृतीय कंचन सागर ने अजय पर न सिर्फ 30 साल की सजा का फैसला किया, बल्कि उसे एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह राशि पीड़िता को क्षतिपूर्ति के तौर पर दी जाएगी। पीड़िता की साहसिक लड़ाई और हिम्मत के कारण ही यह मामला न्याय तक पहुंच सका। पति की मृत्यु के बाद पीड़िता ने अपनी जिंदगी को फिर से संजोने की कोशिश की। वह अपने मायके में रहकर काम करती रही और तेजाब से हमले के बाद भी उसने अपनी लड़ाई जारी रखी।

अजय, जो दो बच्चों का पिता था, एकतरफा प्रेम के कारण इस जघन्य अपराध का दोषी बना। उसने 4 मई 2022 को पीड़िता के घर शादी का प्रस्ताव भेजा, लेकिन जब उसने इनकार किया, तो अजय ने तेजाब से हमला कर दिया। उसकी यह कार्रवाई न केवल शारीरिक रूप से पीड़िता को नुकसान पहुंचाने वाली थी, बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी उसे बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पुलिस और आसपास के लोगों की सूचना पर उसे अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां इलाज चलता रहा।

मामले में अभियोजन पक्ष के सात गवाहों ने अदालत में बयान दिए और 14 सितंबर 2022 को आरोप तय हुए। इसके बाद, अदालत ने अजय को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। एडीजीसी ओमेंद्र दीक्षित ने इस केस में तर्क दिया कि अजय का अपराध गंभीर था और पीड़िता को इस आघात का जीवन भर बोझ उठाना पड़ेगा, इसलिए उसे कठोर सजा दी जाए। अदालत ने उसकी दलील को स्वीकार करते हुए अजय को 30 साल की सजा दी। बचाव पक्ष की ओर से उसकी पहली बार गलती का हवाला दिया गया, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया।

अदालत ने इस फैसले में कहा कि तेजाब हमले के शारीरिक परिणाम स्थायी होते हैं और इससे पीड़िता का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। उसे शारीरिक विकृति, मानसिक तनाव और सामाजिक अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे अपराधों के लिए कठोर सजा जरूरी है ताकि समाज में इस तरह के अपराधों को रोका जा सके। इस मामले में न्याय की प्रक्रिया पूरी हुई, और पीड़िता को उसके जख्मों पर मरहम मिला, जो शायद उसके जीवन भर साथ रहेगा।


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